प्लेसेंटा (Placenta) गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय में बनने वाला एक महत्वपूर्ण अंग होता है। यह शिशु को ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्रदान करता है, जिससे गर्भ में उसका सही विकास हो सके। साथ ही यह शिशु द्वारा उत्सर्जित अपशिष्ट पदार्थों को भी बाहर निकालता है।
प्लेसेंटा की स्थिति गर्भाशय में किसी भी ओर हो सकती है – आगे (front), पीछे (back), ऊपर (top) या किनारे (lateral)। इनमें से अगर यह गर्भाशय की अगली दीवार की ओर स्थित हो, तो इसे एंटीरियर प्लेसेंटा कहते हैं। लेकिन क्या इस स्थिति को लेकर चिंता करनी चाहिए? आइए इस लेख में विस्तार से जानें।
एंटीरियर प्लेसेंटा क्या है?
Placenta anterior meaning in hindi है की जब प्लेसेंटा गर्भाशय की आगे की दीवार यानी पेट की तरफ बनता है। यह गर्भावस्था में सामान्य स्थिति होती है और आमतौर पर किसी जटिलता से जुड़ी नहीं होती है। एंटीरियर प्लेसेंटा के कारण मां को शिशु की हरकतें महसूस करने में थोड़ी देरी हो सकती है क्योंकि मां और शिशु के बीच एक मोटी परत का कुशन जैसा असर होता है। गर्भावस्था बढ़ने के साथ-साथ प्लेसेंटा की स्थिति भी थोड़ी बदलती है। आमतौर पर यह स्थिति 18 से 21 सप्ताह की अल्ट्रासाउंड जांच में सामने आती है।
एंटीरियर प्लेसेंटा के लक्षण
एंटीरियर प्लेसेंटा के आमतौर पर कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, लेकिन कुछ संकेत इसके होने का आभास दे सकते हैं
- शिशु की हरकतें देर से महसूस होना: अगर गर्भावस्था के दौरान शिशु की किक देर से महसूस हो रही हो, तो यह एंटीरियर प्लेसेंटा के कारण हो सकता है।
- पेट के निचले हिस्से में दबाव या असहजता: कुछ महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में दबाव या बेचैनी महसूस हो सकती है।
- शिशु की धड़कन सुनने में कठिनाई: अल्ट्रासाउंड या चेकअप के दौरान डॉक्टर को भ्रूण की धड़कन सुनने में कठिनाई हो सकती है, क्योंकि प्लेसेंटा ध्वनि को रोक सकता है।
गर्भावस्था पर एंटीरियर प्लेसेंटा का प्रभाव
प्लेसेंटा की स्थिति – चाहे वह आगे, पीछे, ऊपर या किनारे हो – आमतौर पर गर्भावस्था को प्रभावित नहीं करती। लेकिन जब प्लेसेंटा गर्भाशय ग्रीवा (cervix) को ढक देता है, तब समस्या होती है। इस स्थिति को प्लेसेंटा प्रीविया कहते हैं और इसमें सामान्य प्रसव संभव नहीं होता – ऐसी स्थिति में सी-सेक्शन डिलीवरी करनी पड़ सकती है। हालांकि, एंटीरियर प्लेसेंटा में ऐसा खतरा नहीं होता, इसलिए गर्भावस्था और प्रसव सामान्य रूप से हो सकते हैं। कभी-कभी एंटीरियर प्लेसेंटा के कारण शिशु की स्थिति ‘बैक टू बैक’ (Occipito posterior) हो सकती है, जिसमें शिशु का सिर नीचे होता है लेकिन उसकी पीठ मां की रीढ़ की ओर होती है।
संभावित जटिलताएँ और सावधानियाँ
हालांकि एंटीरियर प्लेसेंटा आमतौर पर चिंता का विषय नहीं होता, लेकिन कुछ संभावित जटिलताएं जुड़ी हो सकती हैं:
- गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप
- शिशु का धीमा विकास
- गर्भ में शिशु की मृत्यु
- गर्भकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes)
- प्लेसेंटा का जल्दी अलग होना (Placental abruption)
- प्लेसेंटा प्रीविया की स्थिति में सिजेरियन डिलीवरी
अगर शिशु ‘बैक टू बैक’ पोजिशन में है, तो यह समस्याएं हो सकती हैं:
- पीठ में तेज दर्द
- लंबी और कठिन प्रसव पीड़ा
- ऑपरेशन या उपकरण की सहायता से प्रसव
सावधानियां
एंटीरियर प्लेसेंटा वाली महिलाओं को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- नियमित प्रसव पूर्व जांच (Prenatal Check-ups) करवाएं
- पेट पर चोट, दबाव या झटका लगने से बचें
- यदि योनि से रक्तस्राव हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
- लगातार या तेज़ गर्भाशय संकुचन महसूस हो, तो सतर्क रहें
- शिशु की हरकतें कम महसूस हों या पेट सख्त लगे, तो डॉक्टर से मिलें
- अपनी स्थिति के अनुसार डॉक्टर से जरूरी सावधानियों पर चर्चा करें
निष्कर्ष
Anterior placenta के meaning को समझना गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद होता है, ताकि वे अनावश्यक चिंता न करें। प्लेसेंटा एक महत्वपूर्ण अंग है जो शिशु के पोषण और सुरक्षा के लिए जरूरी होता है। इसकी स्थिति सामने (anterior) हो तो इसे एंटीरियर प्लेसेंटा कहा जाता है। यह सामान्य और सुरक्षित होता है। हालांकि कुछ स्थितियों में थोड़ी सावधानी जरूरी है, जैसे कि शिशु की हरकतें कम महसूस होना या प्लेसेंटा प्रीविया जैसी जटिल स्थिति। लेकिन सही देखभाल और डॉक्टर की सलाह से एक सुरक्षित और स्वस्थ गर्भावस्था संभव है।

