
हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय हटाने की सर्जरी): अर्थ, प्रक्रिया, और महत्वपूर्ण जानकारी

गर्भाशय महिला प्रजनन अंगों (reproductive organs) का एक प्रमुख हिस्सा होता है, जिसका कार्य गर्भ में शिशु को धारण करना होता है। यह मासिक धर्म (mentruation period) के लिए भी जिम्मेदार होता है। कभी–कभी गर्भाशय में कुछ चिकित्सकीय स्थितियाँ विकसित हो सकती हैं, जिनके कारण पूरे अंग को हटाना आवश्यक हो सकता है। हालाँकि, सर्जरी के बाद जीवन सामान्य हो जाता है, लेकिन मासिक धर्म आने और दोबारा गर्भधारण करने की क्षमता समाप्त हो जाती है। गर्भाशय को हटाने के लिए की जाने वाली सर्जरी को “हिस्टरेक्टॉमी” कहा जाता है। इस प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानने के लिए आगे पढ़ें।
हिस्टेरेक्टॉमी क्या है?
आइए hysterectomy meaning in hindi समझने से शुरू करें। हिस्टरेक्टॉमी एक शल्य प्रक्रिया (surgery) है जिसका उद्देश्य गर्भाशय को निकालना होता है। इसमें कभी–कभी महिला प्रजनन तंत्र के अन्य अंगों जैसे कि गर्भाशय ग्रीवा (cervix), फैलोपियन ट्यूब्स और अंडाशय (ovary) को भी हटाया जा सकता है, लेकिन ऐसा करना सर्जरी के कारण पर निर्भर करता है।
यह प्रक्रिया उन कई चिकित्सीय स्थितियों के इलाज के लिए एक सामान्य उपचार है जो प्रजनन अंगों को प्रभावित करती हैं। सीज़ेरियन डिलीवरी (C-section) के बाद यह दूसरी सबसे सामान्य शल्य प्रक्रिया है और इसे सामान्यतः 40 से 50 वर्ष की आयु में किया जाता है (जो महिलाएं रजोनिवृत्ति (Menopause) पार कर चुकी होती हैं)
हिस्टरेक्टॉमी के बाद, चूंकि महिलाओं के पास अब गर्भाशय नहीं होता, इसलिए न तो उन्हें मासिक धर्म होता है और न ही वे गर्भवती हो सकती हैं।
हिस्टेरेक्टॉमी के प्रकार
Hysterectomy in hindi जानने के बाद, आइए इसके प्रकारों पर आगे बढ़ते हैं। हिस्टरेक्टॉमी की प्रक्रियाएं विभिन्न प्रकार की होती हैं। यहाँ गर्भाशय के साथ महिला प्रजनन प्रणाली के किन–किन अंगों को हटाया गया है, उसके आधार पर हिस्टरेक्टॉमी (गर्भाशय–उच्छेदन) के प्रकार दिए गए हैं:
- संपूर्ण गर्भाशय–उच्छेदन (Total Hysterectomy): इसमें गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा (cervix) को हटाया जाता है, लेकिन अंडाशयों (ovaries) को नहीं छेड़ा जाता। इसका मतलब है कि यह सर्जरी आपको तुरंत रजोनिवृत्ति (menopause) की स्थिति में नहीं लाएगी।
- अर्ध–ग्रीवा गर्भाशय–उच्छेदन (Supercervical Hysterectomy): सर्जरी जिसमें डॉक्टर गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब्स को हटा देते हैं, लेकिन गर्भाशय का निचला हिस्सा यानी ग्रीवा (cervix) वहीं छोड़ दिया जाता है। सर्जरी के बाद भी मरीज को नियमित पैप स्मीयर (Pap smear) जांच करवानी ज़रूरी होती है।
- संपूर्ण गर्भाशय–उच्छेदन बाइलेटरल साल्पिंगो–ओओफोरेक्टॉमी के साथ (Total Hysterectomy with Bilateral Salpingo-Oophorectomy): इसमें गर्भाशय और ग्रीवा के साथ–साथ दोनों फैलोपियन ट्यूब्स (salpingectomy) और दोनों अंडाशयों (oophoectomy) को भी हटाया जाता है। यदि महिला अभी रजोनिवृत्ति (menopause) में नहीं पहुंची है, तो यह प्रक्रिया उसे रजोनिवृत्त कर देगी।
- राडिकल गर्भाशय-उच्छेदन बाइलेटरल साल्पिंगो-ओओफोरेक्टॉमी के साथ (Radical Hysterectomy with Bilateral Salpingo-Oophorectomy): इस सर्जरी में गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब्स, अंडाशय, ग्रीवा, योनि का ऊपरी भाग, आसपास के ऊतक और लिम्फ नोड्स को हटा दिया जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर कैंसर जैसी स्थितियों में की जाती है और इसके बाद महिला रजोनिवृत्ति में चली जाती है।
इसके अतिरिक्त, प्रक्रिया के प्रकार के आधार पर वर्गीकरण इस प्रकार है:
- रोबोटिक हिस्टरेक्टॉमी: एक तरह की सर्जरी है जिसमें डॉक्टर एक खास रोबोटिक मशीन (robotic arm) की मदद से ऑपरेशन करते हैं। ऑपरेशन छोटे–छोटे चीरे (cuts) से किया जाता है, जिससे मरीज को कम दर्द होता है और जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।
- लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टॉमी: यह एक प्रमुख रूप से न्यूनतम आक्रमक की–होल (keyhole) सर्जरी है। इसके लाभों में तेज़ रिकवरी और अस्पताल में रहने की छोटी अवधि शामिल हैं।
क्यों आवश्यक होती है हिस्टेरेक्टॉमी?
हिस्टरेक्टॉमी एक बड़ी सर्जरी होती है, जिसे केवल तब ही सुझाया जाता है जब दवाओं और अन्य उपचार विकल्पों से लाभ न हो। इस सर्जरी के सबसे सामान्य कारण निम्नलिखित हैं:
- भारी मासिक धर्म, जिससे अत्यधिक रक्त की हानि होती है। यह आमतौर पर गर्भाशय में मौजूद रसौली (fibroids) के कारण होता है।
- गर्भाशय की ऊतकों और स्नायुबंधन (ligaments) में कमजोरी।
- गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा (cervix) या अंडाशय (ovary) में कैंसर।
- पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिज़ीज (PID) — यह एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो फैलकर बांझपन, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी और दीर्घकालिक दर्द का कारण बन सकता है।
- एंडोमेट्रियोसिस का होना, जिसमें गर्भाशय की परत की ऊतक अंडाशय या फेलोपियन ट्यूब्स में बढ़ने लगती है, जिससे बांझपन, भारी और अनियमित पीरियड्स हो सकते हैं।
- एडिनोमायोसिस, जिसमें गर्भाशय को ढकने वाला ऊतक गर्भाशय की मांसपेशियों की दीवारों के भीतर बढ़ने लगता है।
- पेल्विक दर्द, जो कि PID, फाइब्रॉइड्स या एडिनोमायोसिस के असफल इलाज के कारण हो सकता है।
सर्जरी की तैयारी कैसे करें?
हिस्टरेक्टॉमी की तैयारी में सबसे पहले यह जरूरी है कि मरीज सर्जरी के बारे में पूरी जानकारी ले। इसमें यह समझना शामिल है कि ऑपरेशन से पहले कौन सी दवाएं लेनी हैं, सर्जरी के दौरान या बाद में क्या–क्या दिक्कतें (जैसे साइड इफेक्ट या जटिलताएं) हो सकती हैं, और इलाज का पूरा तरीका क्या होगा।
इसके अलावा, मरीज को चाहिए कि वह सर्जरी को लेकर अपने सभी संदेह दूर करे। सवाल पूछकर स्पष्टता पाना सर्जरी को लेकर होने वाली चिंता को कम करने में मदद करता है। पहले से अपने सवाल लिख लेना, डॉक्टर से मिलने पर उन्हें पूछने में मददगार हो सकता है।
तैयारी में खून और पेशाब के नमूने देना या कुछ विशेष जांच कराना भी शामिल हो सकता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सर्जरी और रिकवरी प्रक्रिया सही ढंग से हो सके। हिस्टरेक्टॉमी के प्रकार के आधार पर अस्पताल में भर्ती की जरूरत हो भी सकती है और नहीं भी। सर्जरी की प्रभावी तैयारी के लिए यह भी ज़रूरी है कि मरीज स्वस्थ जीवनशैली अपनाए, तनाव और रक्तचाप को नियंत्रित करे, पर्याप्त पानी पीए, और सर्जन की सलाह का पालन करे।
हिस्टेरेक्टॉमी की प्रक्रिया
हिस्टरेक्टॉमी की प्रक्रिया निम्नलिखित तरीके से की जाती है:
- मरीज को सामान्य एनेस्थीसिया (निश्चेतक) दिया जाता है। कुछ मामलों में क्षेत्रीय एनेस्थीसिया भी दिया जा सकता है।
सर्जरी की विधि सर्जन पर निर्भर करती है। नीचे विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाएं दी गई हैं:
- वैजाइनल हिस्टरेक्टॉमी: इसमें सर्जन योनि के ऊपरी हिस्से में एक चीरा लगाकर गर्भाशय को निकालता है और फिर घुलनशील टांके लगाए जाते हैं। यह प्रक्रिया जल्दी ठीक होने और कम जटिलताओं के लिए जानी जाती है। यह एक आउट पेशेंट सर्जरी होती है। इस प्रक्रिया में लैप्रोस्कोप डाला जा सकता है या नहीं भी।
- एब्डॉमिनल लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टॉमी: इसमें सर्जन पेट के निचले हिस्से, खासकर नाभि के पास, कई छोटे चीरे लगाता है और वहां से लैप्रोस्कोप तथा सर्जिकल उपकरण डाले जाते हैं। गर्भाशय को या तो इन पेट के चीरे से या योनि के रास्ते निकाला जाता है। यह प्रक्रिया आउट पेशेंट हो सकती है या मरीज को एक रात अस्पताल में रुकना पड़ सकता है।
- रोबोटिक असिस्टेड लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टॉमी: इसमें रोबोटिक मशीनों की मदद से सर्जरी की जाती है। यह प्रक्रिया एब्डॉमिनल लैप्रोस्कोपिक हिस्टरेक्टॉमी के समान होती है।
- एब्डॉमिनल हिस्टरेक्टॉमी: इस प्रक्रिया में पेट में 6 से 8 इंच लंबा चीरा लगाया जाता है। यह आमतौर पर तब की जाती है जब कैंसर हो, गर्भाशय बहुत बड़ा हो, या बीमारी पेल्विक क्षेत्र में फैल गई हो। चीरा नाभि से लेकर जघनास्थि (pubic bone) तक या जघन के बालों की रेखा के ऊपर क्षैतिज रूप में दिया जा सकता है। इस चीरे को टांकों या स्टेपल्स से बंद किया जाता है। यह एक इनपेशेंट सर्जरी होती है और रिकवरी में अधिक समय लगता है
सर्जरी के बाद की देखभाल और संभावित जटिलताएँ
सर्जिकल रिकवरी का समय सर्जरी के प्रकार पर निर्भर करता है। आपको अस्पताल में कुछ समय रुकना पड़ सकता है और पूरी तरह से ठीक होने में लगभग 6 से 8 सप्ताह लग सकते हैं।
यह सर्जरी के बाद आराम करना उचित होता है ताकि मांसपेशियों और ऊतकों को भरने का समय मिल सके। भारी चीज़ें जैसे शॉपिंग बैग या अन्य वस्तुएं उठाने से बचें। अत्यधिक शारीरिक गतिविधियों से भी बचना चाहिए। व्यायाम, यौन संबंध और अन्य थकाने वाले कार्य कब फिर से शुरू किए जा सकते हैं, इसके बारे में डॉक्टर से अवश्य पूछें।
हिस्टरेक्टॉमी के कारण उत्पन्न होने वाली कुछ जटिलताओं में शामिल हैं:
- योनि से रक्तस्राव या डिस्चार्ज होना
- चीरे वाली जगह पर जलन या दर्द
- संक्रमण
- सर्जरी के बाद थकावट या कमजोरी महसूस होना
- मूत्राशय या आंतों को नुकसान
- सर्जरी के बाद पेशाब या मल त्याग में परेशानी
- एनेस्थीसिया से प्रतिक्रिया
हिस्टेरेक्टॉमी के बाद जीवन: क्या उम्मीद करें?
हिस्टरेक्टॉमी जीवन की गुणवत्ता को सकारात्मक तरीका से प्रभावित करती है। यह चिकित्सीय स्थिति का इलाज करने से जीवन में सुधार होता है क्योंकि इससे दर्द, भारी रक्तस्राव और अन्य समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। यह समग्र स्वास्थ्य या जीवन की अवधि (life longevity) को प्रभावित नहीं करती। हार्मोनल परिवर्तन इस बात पर निर्भर करते हैं कि प्रक्रिया के दौरान अंडाशय (ovary) निकाले गए हैं या नहीं। इसके अलावा, गर्भाशय को हटाने और यदि यह प्रजनन वर्षों में किया गया हो तो संभावित प्रजनन क्षमता की हानि के कारण भावनात्मक रूप से सामंजस्य बैठाने में समय लग सकता है।
निष्कर्ष
Hysterectomy kya hota hai? हिस्टेरेक्टॉमी एक शल्य चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें गर्भाशय को हटाया जाता है। यह सर्जरी कारण पर निर्भर करते हुए प्रजनन प्रणाली के अन्य हिस्सों को भी निकाल सकती है। इस चिकित्सा प्रक्रिया के बाद मरीज को मासिक धर्म नहीं होगा और न ही वह गर्भधारण कर सकेगी। यदि ऑपरेशन के दौरान अंडाशय हटा दिए जाएं, तो रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज़) की शुरुआत हो जाती है। यह एक बड़ी सर्जरी है जिसे तब किया जाता है जब अन्य उपचार विकल्प प्रभावी नहीं होते। मरीजों को सलाह दी जाती है कि वे इस सर्जरी से जुड़ी अपनी सभी शंकाएं सर्जन से स्पष्ट करें।
FAQs
हिस्टेरेक्टॉमी के बाद क्या महिला माँ बन सकती है?
नहीं, हिस्टेरेक्टॉमी के बाद महिलाएं गर्भवती नहीं हो सकतीं क्योंकि इसमें गर्भाशय को हटा दिया जाता है, जो शिशु को धारण करने वाला हिस्सा होता है।
सर्जरी के बाद रिकवरी में कितना समय लगता है?
हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी के बाद रिकवरी का समय प्रक्रिया के प्रकार पर निर्भर करता है। आमतौर पर पूरी तरह ठीक होने में 6 से 8 सप्ताह का समय लग सकता है। ठीक होने की प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए डॉक्टर की सलाह और देखभाल के सुझावों का पालन करना ज़रूरी है।
क्या हिस्टेरेक्टॉमी के बाद हार्मोनल परिवर्तन होते हैं?
हिस्टेरेक्टॉमी के बाद हार्मोनल परिवर्तन इस बात पर निर्भर करते हैं कि अंडाशय निकाले गए हैं या नहीं। यदि अंडाशय हटा दिए जाते हैं, तो महिला तुरंत रजोनिवृत्ति में प्रवेश कर जाती है। इससे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन में अचानक गिरावट आती है, जिससे संबंधित लक्षण दिख सकते हैं। यदि अंडाशय सुरक्षित रखे जाएं, तो हार्मोन में हल्के उतार–चढ़ाव हो सकते हैं।


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