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क्या मोटाई व्यक्ति के गर्भधारण की संभावना को कम करता है?

क्या मोटाई व्यक्ति के गर्भधारण की संभावना को कम करता है?

आप क्या खाते हैं उसका ध्यान रखें और नियमित व्यायाम के साथ फिट रहना न भूलें। मोटाई गर्भधारण की संभावना को कम करता है। हां, जब गर्भधारण की बात आती है तो आकार मायने रखता है। जीवनशैली के विकल्पों ने प्रजनन आयु के पुरुषों और महिलाओं में मोटाई की घटनाओं में वृद्धि की है। यदि बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) 30 और उससे अधिक है, तो आपको स्थूल कहा जाता है। बीएमआई की गणना ऊंचाई और वजन का उपयोग करके की जाती है और इसका उपयोग यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि किसी का वजन स्वस्थ है या नहीं। मोटाई दंपति की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है जिससे वन्ध्यत्व हो सकता है और मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, स्ट्रोक, कैंसर, गठिया आदि जैसे कई विकार भी हो सकते हैं। लेकिन घबराएं नहीं! वजन घटाने से आपको गर्भधारण करने में मदद मिल सकती है। आइए विस्तार से जानते हैं कि कैसे शरीर की अतिरिक्त वसा पुरुषों और महिलाओं दोनों में वन्ध्यत्व का कारण बन सकती है।

मोटाई और महिला वन्ध्यत्व:

मोटाई से महिलाओं में ओवुलेटरी विकार होते हैं और कई अध्ययन बताते है कि मोटाई से ग्रस्त महिलाओं को गर्भधारण करने में अधिक समय लगता है। अतिरिक्त वसा महिलाओं में हार्मोनल संतुलन को बाधित करता है जिसके परिणामस्वरूप अनियमित मासिकधर्म चक्र और एनोव्यूलेशन हो सकता है जिससे वन्ध्यत्व हो सकता है। मोटाई गर्भपात की संभावना को बढ़ा सकता है और सहायक प्रजनन तकनीक के परिणाम को भी प्रभावित कर सकता है।

गर्भावस्था के दौरान मोटाई का प्रभाव:

गर्भावस्था के दौरान मोटाई भी जटिलताएं पैदा कर सकती है जैसे:

  • अपरिपक्व जन्म
  • सिजेरियन डिलीवरी की संभावना को बढ़ाता है
  • मैक्रोसोमिया (बड़ा भ्रूण)
  • जन्म दोष
  • मृत जन्म

मोटाई और पुरुष वन्ध्यत्व:

पुरुषों में बढ़े हुए वजन को सामान्य वजन वाले पुरुषों की तुलना में कम टेस्टोस्टेरोन स्तर, खराब शुक्राणु गुणवत्ता और कम प्रजनन क्षमता से जोड़ा गया है। प्रत्येक 9 किलो (20 पाउंड) से यदि एक पुरुष का वजन (एनसीबीआई) अधिक है तो उसक लिए वन्ध्यत्व की संभावना 10% बढ़ती है।

मोटाई यौन रोग का कारण बन सकता है और शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और आकारिकी को भी प्रभावित कर सकता है।

मोटाई का उपचार:

किसी के वजन में 5-10% की कमी से प्रजनन क्षमता में काफी हद तक सुधार हो सकता है। संतुलित आहार का अनुसरण, जंक फूड से परहेज करना और नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि में शामिल होने से वजन घटाने में बहुत मदद मिल सकती है। ओव्यूलेशन की समस्याओं को हल किया जा सकता है और वजन नियंत्रण में होने पर शुक्राणु की गुणवत्ता में भी सुधार होता है जिससे गर्भधारण की संभावना में सुधार होता है। आईवीएफ/आईसीएसआई जैसे उन्नत प्रजनन उपचार भी उन लोगों के बचाव में आ सकते हैं, जिन्हें ओवुलेटरी या शुक्राणु की समस्या है। लेकिन वजन प्रबंधन सफलता की कुंजी है, भले ही कोई प्रजनन उपचार से गुजरता हैं।

सही खान-पान और शारीरिक गतिविधि आपके माता-पिता बनने के स्वप्न को पूरा करने में आपकी मदद कर सकती है। यह भूलें नहीं! माता-पिता बनने की शुभकामनाएं!

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