Pregnancy Thyroid

पोस्टीरियर प्लेसेंटा: अर्थ, प्रभाव, और गर्भावस्था में इसका महत्व

पोस्टीरियर प्लेसेंटा: अर्थ, प्रभाव, और गर्भावस्था में इसका महत्व

प्लेसेंटा वह कनेक्टिंग ब्रिज है जो माँ और भ्रूण के बीच पोषक तत्वों, ऑक्सीजन और अपशिष्ट उत्पादों का आदान-प्रदान करता है। यह एक महत्वपूर्ण अंग है जो गर्भाशय (uterus) में भ्रूण (fetus) की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक होता है। प्लेसेंटा की स्थिति एंटीरियर (सामने), पोस्टीरियर (पीछे), फंडल (ऊपर) या लैटरल (किनारे) हो सकती है। ये स्थितियाँ गर्भावस्था के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती हैं, जैसे भ्रूण की गतिविधियों को महसूस करना। प्लेसेंटा की इतनी महत्वपूर्ण भूमिका और इसकी स्थिति को देखते हुए, इसकी महत्ता को समझना अत्यंत आवश्यक है। यहां हम placenta posterior meaning in Hindi पर चर्चा करेंगे। अधिक जानने के लिए स्क्रॉल करें।   

पोस्टीरियर  प्लेसेंटा क्या है? 

प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से जुड़ा होता है और नाल (umbilical cord) के माध्यम से भ्रूण से जुड़ा रहता है। प्लेसेंटा की स्थिति गर्भाशय में कहीं भी हो सकती है — जैसे पेट की ओर (सामने/एंटीरियर), ऊपर की ओर या किनारों पर। यदि प्लेसेंटा गर्भाशय की पिछली दीवार, यानी रीढ़ की हड्डी के पास स्थित हो, तो इसे पोस्टीरियर प्लेसेंटा कहा जाता है। 

जिन महिलाओं का प्लेसेंटा पोस्टीरियर होता है, उन्हें भ्रूण की गतिविधियाँ (किक्स आदि) पहले और अधिक स्पष्ट रूप से महसूस होती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि माँ और बच्चे के बीच कम ऊतक (टिशू) मौजूद होते हैं। गर्भावस्था के बढ़ने के साथ प्लेसेंटा की स्थिति में बदलाव भी संभव है। यह स्थिति शिशु के स्वास्थ्य या संपूर्ण विकास पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं डालती, इसलिए इसे चिंता का विषय नहीं मानना चाहिए। बल्कि, माता-पिता को नियमित प्रसवपूर्व देखभाल (prenatal care) लेनी चाहिए और गर्भावस्था को सफल बनाने के लिए निगरानी रखनी चाहिए।  

पोस्टीरियर  प्लेसेंटा की गर्भावस्था में सामान्य स्थिति 

गर्भावस्था के दौरान पोस्टीरियर प्लेसेंटा सामान्य प्लेसेंटा स्थितियों में से एक है। इस स्थिति में सामान्य डिलीवरी और सी-सेक्शन दोनों सुरक्षित माने जाते हैं। कभी-कभी प्लेसेंटा गर्भाशय के निचले हिस्से में यानी लो-लाइंग हो सकता है। यदि यह गर्भाशय ग्रीवा (cervix) को अवरुद्ध (obstruct) करता है तो यह स्थिति समस्याजनक हो सकती है। हालांकि, गर्भावस्था के बढ़ने के साथ प्लेसेंटा आमतौर पर ग्रीवा से ऊपर की ओर खिसक जाता है, जिससे इससे जुड़ा जोखिम कम हो जाता है।  

पोस्टीरियर प्लेसेंटा के फायदे और संभावित चुनौतियाँ 

पोस्टीरियर प्लेसेंटा कुछ लाभों और चुनौतियों से जुड़ा हो सकता है। इसे निम्नलिखित रूप में समझाया गया है। 

पोस्टीरियर प्लेसेंटा से जुड़े लाभ निम्नलिखित हैं: 

  • भ्रूण की हरकतें जल्दी और स्पष्ट रूप से महसूस होती हैं।
  • अल्ट्रासाउंड के दौरान शिशु के चेहरे और शरीर की स्पष्ट छवि प्राप्त करना आसान होता है।
  • शिशु की धड़कनों का बेहतर पता लगाया जा सकता है।

पोस्टीरियर प्लेसेंटा से जुड़ी संभावित जटिलताएँ निम्नलिखित हैं:

  • गर्भावस्था की प्रगति के साथ शिशु का वजन पीछे की ओर स्थानांतरित हो सकता है, जिससे बाद के चरणों में पीठ दर्द की संभावना बढ़ जाती है।
  • माँ और शिशु के बीच कम ऊतक होने के कारण कुछ किक्स ज़्यादा तीव्र और असहज महसूस हो सकती हैं।
  • यदि प्लेसेंटा गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) को अवरुद्ध करता है, तो लो-लाइंग पोस्टीरियर प्लेसेंटा एक समस्या बन सकता है।

पोस्टीरियर  प्लेसेंटा का शिशु के विकास पर प्रभाव 

पोस्टीरियर प्लेसेंटा एक सामान्य स्थिति होती है। इसलिए, इसका शिशु के विकास और वृद्धि पर कोई अतिरिक्त सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। प्लेसेंटा केवल अपने कार्य को निभाता है — शिशु को पोषक तत्व और ऑक्सीजन पहुँचाना और उसके अपशिष्ट पदार्थों (waste proucts) को बाहर निकालना। 

पोस्टीरियर  प्लेसेंटा की पहचान और निदान 

प्लेसेंटा की स्थिति की पहचान अल्ट्रासाउंड के माध्यम से की जाती है, जो आमतौर पर गर्भावस्था के 18 से 21 सप्ताह के बीच किया जाता है। इस अल्ट्रासाउंड की मदद से यह निर्धारित किया जा सकता है कि प्लेसेंटा की स्थिति एंटीरियर (गर्भाशय के सामने), पोस्टीरियर (पीछे), लेटरल (किनारे) या फंडल (ऊपर) है। यदि कोई असामान्यता पाई जाती है, जैसे प्लेसेंटा प्रीविया या एक्रेटा स्पेक्ट्रम की आशंका हो, तो आगे की जांच और विशेषज्ञ निगरानी की आवश्यकता हो सकती है।   

गर्भावस्था  के दौरान देखभाल और सावधानियाँ 

गर्भावस्था के दौरान देखभाल के लिए जरूरी बातें: 

  • फॉलिक एसिड और विटामिन D के सप्लीमेंट लें 
  • सक्रिय रहें और संतुलित आहार लें 
  • शिशु की गतिविधियों पर नज़र रखें 
  • मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें 
  • तीसरी तिमाही में करवट लेकर सोएं 
  • समय पर टीकाकरण करवाएं 
  • किसी भी चेतावनी संकेत (रेड-फ्लैग लक्षण) को नज़रअंदाज़ न करें 
  • सभी अपॉइंटमेंट्स पर समय पर जाएं

गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली सावधानियाँ:

  • शराब, धूम्रपान और नशे वाले पदार्थों से दूर रहें
  • कच्चा या अधपका मांस और मछली न खाएं
  • बिना पाश्चराइज किए गए डेयरी उत्पादों से परहेज़ करें
  • प्रोसेस्ड फूड से बचें और समुद्री भोजन सीमित मात्रा में लें
  • ऐसे स्थानों से दूर रहें जहाँ पेशेवर जोखिम (जैसे- हानिकारक रसायन या रेडिएशन) हो सकते हैं 

पोस्टीरियर  प्लेसेंटा से जुड़े मिथक और वास्तविकताएँ 

पोस्टीरियर प्लेसेंटा से जुड़े कुछ सामान्य मिथक और उनकी वास्तविकताएं इस प्रकार हैं: 

मिथक 1: पोस्टीरियर प्लेसेंटा शिशु के लिंग से जुड़ा होता है।
वास्तविकता: प्लेसेंटा की स्थिति भ्रूण के लिंग पर निर्भर नहीं करती। इसके अलावा, गर्भावस्था के बढ़ने के साथ-साथ प्लेसेंटा की स्थिति बदल सकती है, जबकि शिशु का लिंग नहीं बदलता। 

मिथक 2: पोस्टीरियर प्लेसेंटा भ्रूण की गतिविधियों को अधिक बढ़ा देता है।
वास्तविकता: पोस्टीरियर प्लेसेंटा की स्थिति में मां और शिशु के बीच ऊतक की मोटाई कम होती है, जिससे शिशु की हलचलें अधिक स्पष्ट महसूस होती हैं। इससे भ्रम हो सकता है कि गतिविधियां अधिक हैं, जबकि ऐसा नहीं होता। 

मिथक 3: पोस्टीरियर प्लेसेंटा सामान्य प्रसव (normal delivery) में बाधा डालता है।
वास्तविकता: पोस्टीरियर प्लेसेंटा की स्थिति में सामान्य प्रसव और सिजेरियन डिलीवरी दोनों ही संभव हैं। 

मिथक 4: पोस्टीरियर प्लेसेंटा से अकाल प्रसव (pre-term labour) का खतरा बढ़ जाता है।
वास्तविकता: अभी तक कोई ऐसा वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है जो पोस्टीरियर प्लेसेंटा को प्री-टर्म लेबर के बढ़े हुए खतरे से जोड़ता हो। 

मिथक 5: पोस्टीरियर प्लेसेंटा सबसे उत्तम स्थिति होती है।
वास्तविकता: यद्यपि पोस्टीरियर प्लेसेंटा की कुछ विशेषताएं लाभदायक हो सकती हैं, फिर भी इसे अन्य स्थितियों की तुलना में श्रेष्ठ नहीं माना जा सकता। 

निष्कर्ष  

प्लेसेंटा शिशु के स्वास्थ्य, विकास और वृद्धि के लिए शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह भ्रूण को पोषक तत्व और ऑक्सीजन प्रदान करता है और अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालता है। गर्भाशय में प्लेसेंटा की स्थिति कहीं भी हो सकती है जैसे कि सामने, पीछे, किनारे या ऊपर। यदि प्लेसेंटा गर्भाशय की पिछली दीवार पर, यानी रीढ़ की ओर स्थित हो, तो उसे पोस्टीरियर प्लेसेंटा कहा जाता है। इस स्थिति का शिशु के विकास और वृद्धि पर कोई अतिरिक्त प्रभाव नहीं पड़ता। हां, इस स्थिति में शिशु की गतिविधियाँ मां को अधिक स्पष्ट रूप से महसूस हो सकती हैं। साथ ही, पोस्टीरियर प्लेसेंटा से जुड़ी कई मिथक भी प्रचलित हैं, जो सच नहीं हैं। इसलिए, जानकारी रखें और किसी भी शंका की स्थिति में अपने डॉक्टर से परामर्श करें। 

FAQs 

पोस्टीरियर प्लेसेंटा का अर्थ क्या है? 

Placenta posterior ka matlab है कि प्लेसेंटा गर्भाशय की पिछली दीवार पर स्थित होता है। इसका मतलब है कि यह रीढ़ की ओर स्थित होता है।  

क्या पोस्टीरियर प्लेसेंटा गर्भावस्था में किसी जोखिम से जुड़ा है? 

आम तौर पर पोस्टीरियर प्लेसेंटा किसी जटिलता से जुड़ा नहीं होता। हालांकि, यदि अन्य स्थितियाँ मौजूद हों, तो प्लेसेंटा की निगरानी की आवश्यकता हो सकती है।  

पोस्टीरियर प्लेसेंटा की स्थिति का शिशु के लिंग से कोई संबंध है? 

नहीं, पोस्टीरियर प्लेसेंटा का बच्चे के लिंग से कोई संबंध नहीं होता। 

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  • August 26, 2025 by Oasis Fertility
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