Fertility Treatments

फर्टिलिटी क्या है? जानें प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के तरीके

फर्टिलिटी क्या है? जानें प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के तरीके

Fertility meaning in hindi होता है प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने और एक स्वस्थ गर्भावस्था को बनाए रखने की क्षमता। यह महिलाओं में नियमित मासिक धर्म चक्र और पुरुषों में निरंतर शुक्राणु (sperm) उत्पादन द्वारा पहचाना जाता है। बेहतर फर्टिलिटी गर्भधारण (pregnancy) की संभावनाओं को बढ़ाती है और पैरेंटहुड के सफर को सुखद बनाती है। कई कारक होते हैं जो पुरुष और महिला दोनों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं। इन कारकों को समझना और समय पर उचित कदम उठाना प्रजनन में सहायक हो सकता है। यहां जानें कि शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहकर प्रजनन क्षमता (fertility) को कैसे बनाए रखें। 

फर्टिलिटी क्या होती है?  

आइए Fertility meaning in hindi समझने से शुरू करें। फर्टिलिटी संतान उत्पन्न करने की क्षमता होती है। खासकर मनुष्यों के संदर्भ में, यह सामान्य यौन गतिविधि के माध्यम से गर्भधारण करने (pregnant) और एक स्वस्थ गर्भावस्था बनाए रखने की क्षमता को दर्शाती है। दूसरी ओर, इनफर्टिलिटी वह स्थिति होती है, जब एक वर्ष तक असुरक्षित यौन संबंध बनाने के बावजूद गर्भधारण नहीं हो पाता। फर्टिलिटी कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि हार्मोनल संतुलन (hormonal balance), समय, पोषण, संस्कृति, भावनाएं और अन्य तत्व।  

पुरुष  और महिलाओं में फर्टिलिटी के प्रमुख कारक 

पुरुष और महिला दोनों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाले कारकों को यहां अलग-अलग वर्णित किया गया है। 

पुरुषों में फर्टिलिटी को प्रभावित करने वाले कारक

पुरुषों की फर्टिलिटी मुख्य रूप से निम्नलिखित कारकों से प्रभावित होती है: 

उम्र: पुरुषों में जीवन भर शुक्राणु बनते रहते हैं, लेकिन उम्र के साथ उनकी गुणवत्ता में गिरावट आती है। गुणवत्ता का आशय है—शुक्राणुओं की गति (motility), संरचना (morphology), और संख्या (count)। 

हार्मोनल असंतुलन: हार्मोन से संबंधित समस्याएं टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन में बाधा डाल सकती हैं, जिससे शुक्राणु उत्पादन प्रभावित होता है। 

चोटें: अंडकोष में चोट या इस अंग में कैंसर से फर्टिलिटी प्रभावित होती है, क्योंकि शुक्राणु यहीं बनते हैं। 

वेरीकोसील: यह अंडकोष से रक्त प्रवाहित करने वाली नसों की सूजन होती है, जिससे शुक्राणुओं की गुणवत्ता और उत्पादन प्रभावित होता है। 

यौन दुर्बलता: इरेक्टाइल डिसफंक्शन (लिंग का सख्त न हो पाना) या शीघ्रपतन से फर्टिलिटी पर असर पड़ता है। 

जीवनशैली से जुड़े कारक: मोटापा, नशे की लत, शराब का सेवन और धूम्रपान पुरुषों की प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचाते हैं। तनाव और मानसिक स्वास्थ्य भी अहम भूमिका निभाते हैं। 

संक्रमण और पुरानी बीमारियां: यौन संचारित रोग (STIs), हाई ब्लड प्रेशर, ऑटोइम्यून बीमारियां और डायबिटीज जैसे रोग प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।  

महिलाओं में फर्टिलिटी को प्रभावित करने वाले कारक

महिलाओं की फर्टिलिटी मुख्य रूप से निम्नलिखित कारकों से प्रभावित होती है: 

उम्र: महिलाएं जितने अंडाणु अपने जीवन में उपयोग करेंगी, वे सभी जन्म के समय ही मौजूद होते हैंउम्र बढ़ने के साथ अंडाणुओं की संख्या या गुणवत्ता में दोनों में गिरावट आती है, जिससे उम्रदराज महिलाओं के गर्भधारण की संभावना कम हो जाती हैयदि गर्भधारण हो भी जाए, तो गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है 

वजन: अधिक वजन या बहुत कम वजन दोनों ही हार्मोन संतुलन में बाधा डालते हैं, जिससे मासिक धर्म चक्र असामान्य हो जाता है और प्रजनन प्रक्रिया प्रभावित होती है। 

चिकित्सकीय स्थितियां: महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस, यौन संचारित रोग, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज (PID) जैसी अनेक बीमारियां हो सकती हैं। ये बीमारियां महिला प्रजनन अंगों के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करती हैं, जिससे गर्भधारण और शिशु के विकास में बाधा आती है। 

खराब जीवनशैली की आदतें: धूम्रपान महिलाओं में फालोपियन ट्यूब के कार्य को प्रभावित करता है, जबकि शराब पीना गर्भधारण की संभावना को कम करता है। निष्क्रिय जीवनशैली (Sedentary lifestyle) हार्मोन असंतुलन, अंडोत्सर्ग (ovulation) की कमी और पीसीओएस के खतरे को बढ़ाती है। 

तनाव: अत्यधिक तनाव हार्मोन संतुलन को बिगाड़ देता है, जिससे अंडोत्सर्ग और मासिक धर्म चक्र पर असर पड़ता है। 

पर्यावरणीय प्रदूषक: कीटनाशक (pesticides), माइक्रोप्लास्टिक्स, औद्योगिक रसायन (industrial chemicals) और अन्य पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थ भी हार्मोन चक्र में हस्तक्षेप करते हैं और फर्टिलिटी को प्रभावित करते हैं।.  

फर्टिलिटी  बढ़ाने के लिए प्राकृतिक तरीके 

प्रजनन क्षमता को सुधारने के कुछ प्रभावी और आवश्यक प्राकृतिक तरीके निम्नलिखित हैं: 

पोषण और आहार 

संतुलित आहार शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसके साथ ही, अस्वास्थ्यकर चीजों के सेवन को सीमित या टालना भी जरूरी होता है। अपने आहार में साबुत और कम-प्रक्रियायुक्त (whole and unprocessed) खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दें, जैसे कि सब्जियां, फल, लीन प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड, डेयरी उत्पाद, साबुत अनाज, मेवे और हेल्दी फैट्स। साथ ही, ट्रांस फैट, परिष्कृत (refined) कार्बोहाइड्रेट, प्रोसेस्ड फूड, कैफीन, जंक फूड और अन्य हानिकारक चीजों का सेवन सीमित करें।  

जीवनशैली में बदलाव 

जीवनशैली में बदलाव समग्र स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसमें प्लास्टिक कंटेनरों और भंडारण सामग्री के उपयोग को सीमित करना या पूरी तरह से टालना शामिल है। जैविक खाद्य पदार्थों का उपयोग करना जो कीटनाशकों (pesticides) और अन्य रसायनों से मुक्त हों। प्राकृतिक सफाई उत्पादों का उपयोग करना और इसी तरह की अन्य सावधानियाँ बरतना भी आवश्यक है।  

व्यायाम और योग 

सक्रिय जीवनशैली बनाए रखना अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। मध्यम और नियमित व्यायाम जैसे टहलना या तैरना इसमें शामिल होना चाहिए। अत्यधिक थकाने वाला या ज़रूरत से ज़्यादा व्यायाम करना उचित नहीं है। साथ ही, धूम्रपान और शराब के सेवन को धीरे-धीरे सीमित करना और फिर पूरी तरह से छोड़ना आवश्यक है।  

फर्टिलिटी  से जुड़ी आम समस्याएं और उनके समाधान 

पुरुष और महिला की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाली प्रमुख समस्याएँ हैं: 

पीसीओएस और ओवुलेशन की समस्या 

पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) एक हार्मोनल असंतुलन की स्थिति है, जिससे अंडोत्सर्जन (ovulation) नहीं होता और मासिक धर्म अनियमित हो जाता है। ओव्यूलेशन की कमी और हार्मोनल उतार-चढ़ाव बांझपन का एक प्रमुख कारण होते हैं। जीवनशैली में बदलाव, जैसे नियमित व्यायाम और संतुलित आहार जिसमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ शामिल हों, पीसीओएस से निपटने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, दवाओं, सर्जरी और इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स का भी सहारा लिया जा सकता है।   

पुरुषों में शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता 

पुरुषों में इनफर्टिलिटी मुख्य रूप से शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता पर निर्भर करती है। कम या शून्य संख्या वाले, या विकृत शुक्राणु हार्मोनल समस्याओं, आनुवंशिक विकारों (genetic disorders) और कई अन्य कारणों से हो सकते हैं। ऐसे मामलों की संभावना तब बढ़ जाती है जब पुरुष की उम्र 40 वर्ष से अधिक हो, अधिक वजन हो, तंबाकू या शराब का सेवन करता हो या अत्यधिक गर्मी के संपर्क में रहता हो। पुरुषों में इनफर्टिलिटी को सुधारने के लिए जीवनशैली में बदलाव, दवाएं और सर्जरी पर ध्यान देना आवश्यक है। संतान प्राप्ति में सहायता के लिए असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) भी मदद कर सकती है। 

आईवीएफ और अन्य मेडिकल ट्रीटमेंट के विकल्प 

असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) उन उपचारों को कहा जाता है जो प्रजनन क्षमता में सहायता के लिए अंडाणु और शुक्राणु को संभालने के लिए किए जाते हैं। इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) ART की सबसे आम तकनीक है। इसके अलावा भी गर्भधारण और उपचार के कई तरीके हैं। नीचे प्रमुख विधियाँ दी गई हैं: 

  • IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन): इसमें महिलाओं में अंडाणुओं के उत्पादन को बढ़ाया जाता है और फिर परिपक्व अंडाणुओं को निकाला जाता है। इन अंडाणुओं को पुरुष के शुक्राणुओं से लैब में एक डिश में मिलाया जाता है। निषेचन के बाद जो भ्रूण बनता है, उसे गर्भाशय में प्रत्यारोपित (implant) किया जाता है या भविष्य के लिए फ्रीज़ भी किया जा सकता है। 
  • ICSI (इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन): यह विधि उन मामलों में इस्तेमाल होती है जब शुक्राणुओं की संख्या या गुणवत्ता बहुत कम होती है। इसमें एक स्वस्थ शुक्राणु को सीधे अंडाणु में इंजेक्ट किया जाता है। 
  • Assisted Hatching (असिस्टेड हैचिंग): इस प्रक्रिया में भ्रूण की बाहरी परत को खोलकर उसे गर्भाशय में प्रत्यारोपित करने में मदद की जाती है। यह विधि उन मामलों में की जाती है जब भ्रूण के गर्भाशय में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण की संभावना कम हो। 
  • IUI (इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन): इसमें शुक्राणु को सीधे महिला के गर्भाशय में डाला जाता है ताकि प्राकृतिक रूप से निषेचन (fertilisation) हो सके। 
  • Egg या Sperm Donation (डोनर अंडाणु या शुक्राणु): जब महिला के अंडाणु या पुरुष के शुक्राणु में गुणवत्ता की कमी हो, या आनुवंशिक विकार हों, या समान-लैंगिक विवाह या एकल व्यक्ति संतान की योजना बनाना चाहते हों—ऐसे मामलों में डोनर अंडाणु, शुक्राणु या यहां तक कि भ्रूण का उपयोग करके गर्भधारण किया जा सकता है।  

निष्कर्ष: स्वस्थ जीवनशैली से फर्टिलिटी में सुधार 

फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं मानसिक रूप से काफी तनावपूर्ण हो सकती हैं, लेकिन इनका उपचार संभव है। कारण को समझना और उसी अनुसार जीवनशैली में बदलाव करना मददगार होता है। इसमें गर्भधारण के लिए सक्रिय प्रयास (proactive steps) जैसे संतुलित आहार, तनाव प्रबंधन, नियमित व्यायाम शामिल करना और हानिकारक पदार्थों जैसे धूम्रपान, शराब और खराब आहार को सीमित करना शामिल है। इन उपायों के अलावा, असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) की प्रक्रियाएं भी गर्भधारण में सहायक हो सकती हैं। अपनी सेहत पर ध्यान दें और ज़रूरत हो तो डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।   

FAQs 

बांझपन के 4 कारण महिलाओं में क्या हैं? 

महिलाओं में बांझपन के चार प्रमुख कारण गर्भाशय के किसी अंगियों की समस्या, अनियमित मासिक धर्म, हॉर्मोनल असंतुलन, या शुक्राणु उत्पादन विकार हो सकते हैं।  

प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए क्या करें?  

प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव कम करना, अच्छी नींद लेना, कैफीन और शराब का सेवन कम करना, धूम्रपान से बचना, और प्रसवपूर्व विटामिन लेना महत्वपूर्ण है।  

क्या आईवीएफ सफल होता है?  

आमतौर पर आईवीएफ की एक साईकिल की सफलता लगभग 35 से ४०% रहती है| अगर आपके एक अच्छे सेंटर का चुनाव करते हैं तोह यह 70% तक भी हो सकती है।  

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  • August 22, 2025 by Oasis Fertility

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