Female Infertility

बच्चेदानी में गांठ (यूट्रस में गांठ) के कारण, लक्षण और इलाज

बच्चेदानी में गांठ (यूट्रस में गांठ) के कारण, लक्षण और इलाज

बच्चेदानी में फाइब्रॉइड्स (uterine fibroids) महिलाओं में एक आम स्थिति है। इनका आकार और संख्या अलग-अलग हो सकती है और ये ज़रूरी नहीं कि किसी समस्या का कारण बनें। आमतौर पर ये हानिरहित (harmless) और बिना लक्षण (asymptomatic) के होते हैं और कई बार तो इनका पता भी नहीं चलता। लेकिन कुछ मामलों में इलाज की ज़रूरत पड़ सकती है। फाइब्रॉइड्स को अच्छी तरह समझना और उन्हें रोकने में मदद करने वाले पहलुओं पर ध्यान देना, एक स्वस्थ बच्चेदानी (uterine health) की दिशा में सबसे अच्छा कदम है। Fibroids meaning in hindi और अधिक जानकारी यहीं पाएं।

बच्चेदानी में गांठ क्या होती है और यह क्यों बनती है?

Fibroids meaning in hindi, जिन्हें लेयोमायोमा भी कहा जाता है, महिला प्रजनन तंत्र (female reproductive system) के मुख्य भाग में बनने वाली आम और गैर-कैंसरयुक्त (noncancerous) ग्रोथबढ़ना विकास होती हैं। ये कैंसर में नहीं बदलतीं और इनका आकार व संख्या अलग-अलग हो सकती है, कुछ बहुत सूक्ष्म (microscopic) होती हैं जबकि कुछ आंखों से साफ दिखाई देती हैं। अधिकतर मामलों में ये गांठें बिना लक्षण की होती हैं और इलाज की ज़रूरत नहीं पड़ती। लेकिन कुछ स्थितियों में ये अत्यधिक और दर्दभरी माहवारी का कारण बन सकती हैं।

बच्चेदानी में गांठ बनने के कुछ जोखिम कारक (risk factors) होते हैं, जिनमें नस्ल, पारिवारिक इतिहास और अन्य कारक शामिल हैं। हालाँकि सभी महिलाओं में फाइब्रॉइड हो सकते हैं, लेकिन काले लोगों (Black people) में ये कम उम्र में होने की संभावना ज़्यादा होती है। इसके अलावा, उनके फाइब्रॉइड का आकार और लक्षण गोरे लोगों की तुलना में अधिक हो सकते हैं। जिन महिलाओं में निम्नलिखित बातें पाई जाती हैं, उनमें फाइब्रॉइड होने की संभावना बढ़ जाती है:

  • फाइब्रॉइड का पारिवारिक इतिहास
  • 10 साल की उम्र से पीरियड्स शुरू होना
  • मोटापा
  • विटामिन D और हरी सब्ज़ियां, फल और डेयरी उत्पाद कम खाना
  • लाल मांस का अधिक सेवन
  • शराब, विशेष रूप से बीयर का सेवन

बच्चेदानी में गांठ के मुख्य कारण

बच्चेदानी में गांठ बनने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

शरीर में हार्मोनल असंतुलन की भूमिका

महिला प्रजनन हार्मोन, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन, का असंतुलन बच्चेदानी में गांठ (fibroids) बनने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। ये हार्मोन हर मासिक चक्र में गर्भधारण की तैयारी के लिए बच्चेदानी की परत को मोटा करने का काम करते हैं। फायब्रॉइड्स में, सामान्य बच्चेदानी कोशिकाओं की तुलना में, ऐसे अधिक कोशिकाएँ होती हैं जो इन हार्मोनों से जुड़ सकते हैं। जब ये हार्मोन फायब्रॉइड्स से जुड़ते हैं, तो उनकी वृद्धि और बने रहने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। रजोनिवृत्ति (menopause) के बाद जब इन हार्मोनों का स्तर शरीर में कम हो जाता है, तो आमतौर पर फायब्रॉइड्स अपने आप सिकुड़ने लगते हैं।

आनुवंशिक कारण और पारिवारिक इतिहास

अगर परिवार में पहले किसी महिला को बच्चेदानी की गांठ (fibroid) रही है, तो ऐसी स्थिति में इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। इसका मुख्य कारण कुछ जेनेटिक म्यूटेशन (genetic mutations) होते हैं, जो उन जीन को प्रभावित करते हैं जो हार्मोन और बच्चेदानी की कोशिकाओं के आपसी संबंध को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा फायब्रॉइड में ऐसे म्यूटेशन भी पाए जाते हैं जो कोशिकाओं की वृद्धि, उसके नियंत्रण, अपोप्टोसिस (apoptosis – यानी तय समय पर सेल का खत्म होना) और रक्त वाहिकाओं के निर्माण (vascularization) से जुड़े होते हैं।

जीवनशैली और खानपान से जुड़े कारक

गलत खानपान और असंतुलित जीवनशैली भी फायब्रॉइड्स का कारण बन सकते हैं।

  • अत्यधिक चीनी वाला भोजन शरीर में सूजन (inflammation) और हार्मोन असंतुलन को बढ़ाता है।
  • कम रेशेदार खाना (less fibre) कुछ हार्मोन को बढ़ावा देता है, जो फायब्रॉइड्स को बढ़ा सकता है।
  • कम फल-सब्जी और डेयरी उत्पादों का सेवन पोषण की कमी पैदा करता है।
  • बैठे रहने की जीवनशैली (sedentary lifestyle) से शरीर में ऊर्जा जमा होती है, जिससे वजन बढ़ता है और हार्मोन असंतुलन हो सकता है।

शरीर पर पड़ने वाले लक्षण और संकेत

बच्चेदानी में गांठ के लक्षण और संकेत इस प्रकार हो सकते हैं:

  • पीरियड के दौरान बहुत अधिक या दर्द के साथ खून आना
  • निचले पेट में भारीपन या सूजन महसूस होना
  • सामान्य से ज्यादा लंबे समय तक पीरियड चलना
  • संभोग (sex) के दौरान दर्द होना
  • बार-बार पेशाब जाने की इच्छा
  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द
  • कब्ज या मलद्वार (rectum) पर दबाव महसूस होना
  • पेशाब ठीक से न आना या पूरी तरह से मूत्राशय (bladder) खाली न हो पाना
  • पेट का आकार बढ़ना
  • लंबे समय तक योनि से स्राव (vaginal discharge) होना

गर्भावस्था के दौरान बच्चेदानी की गांठ कितनी खतरनाक हो सकती है?

आमतौर पर छोटी गांठों से बच्चे को कोई विशेष खतरा नहीं होता, लेकिन बड़ी या अधिक संख्या में मौजूद गांठें कुछ परेशानियाँ पैदा कर सकती हैं। गांठ के आकार और संख्या के आधार पर निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं:

  • प्लेसेंटा (placenta) की स्थिति असामान्य हो सकती है
  • ब्रीच पोजिशन (breech position) संभव है जिसमें बच्चा सिर के बजाय पैर की ओर होता है
  • प्लेसेंटा अब्रप्शन (placental abruption) संभव है जिसमें प्लेसेंटा का बच्चेदानी की दीवार से अलग हो जाना
  • समय से पहले प्रसव (Pre-term) का खतरा
  • सी-सेक्शन (C-section) की आवश्यकता बढ़ सकती है, क्योंकि बच्चेदानी का मुँह पूरी तरह से नहीं खुलता या संकुचन (contractions) सही नहीं होते
  • डिलीवरी के बाद अधिक रक्तस्राव (postpartum hemorrhage)

इन जोखिमों की संभावना इस बात पर निर्भर करती है कि गांठ किस प्रकार की है। इसलिए डॉक्टर से समय पर सलाह लेना और अपनी स्थिति पर चर्चा करना सबसे अच्छा उपाय है।

बच्चेदानी में गांठ को ठीक करने के तरीके

फाइब्रॉइड्स को नियंत्रित करने के लिए कई तरह की विधियाँ होती हैं। ये विधियाँ विभिन्न कारकों पर निर्भर करती हैं, जैसे – उम्र, लक्षण, सामान्य स्वास्थ्य, फाइब्रॉइड्स का प्रकार, भविष्य में गर्भधारण की योजना, और फाइब्रॉइड्स का आकार व स्थान।

उपचार के विकल्पों में पहले तो दवाएँ शामिल होती हैं। फाइब्रॉइड्स से जुड़े अलग-अलग प्रकार के इलाज और नियंत्रण के लिए विभिन्न दवाएँ दी जाती हैं, जैसे:

  • लक्षणों को नियंत्रित करने या फाइब्रॉइड्स के आकार को घटाने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। इनमें सामान्य रूप से सूजन कम करने वाली (Anti-inflammatory) दवाएँऔर गोनाडोट्रॉपिन रिलीजिंग हार्मोन (GnRH) शामिल होती हैं।
  • अत्यधिक रक्तस्राव के कारण होने वाले खून की कमी (anemia) के इलाज के लिए आयरन सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं।
  • मौखिक गर्भनिरोधक गोलियाँ, इंजेक्शन और इंट्रायूटेरिन डिवाइस (IUD) जैसी अन्य विधियाँ, फाइब्रॉइड्स के कारण होने वाले रक्तस्राव से जुड़े लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
  • दर्द और असहजता को कम करने के लिए बिना पर्चे की (over-the-counter) दवाओं का भी उपयोग किया जाता है।

सर्जरी से गांठ को हटाने के विकल्प

गांठ निकालने के लिए सर्जिकल प्रक्रियाएं निम्नलिखित हैं:

  • मायोमेक्टॉमी (Myomectomy): बच्चेदानी से गांठ को हटाने की प्रक्रिया
  • यूटराइन फाइब्रॉइड एम्बोलाइज़ेशन (UFE): फाइब्रॉइड में खून की सप्लाई रोककर उन्हें सिकोड़ना, जिससे 40-60% तक आकार कम हो सकता है
  • रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन: गर्म (Heat) तकनीक से गांठ को 50% तक घटाया जाता है। यह कम समय में रिकवरी और भविष्य में स्वस्थ गर्भावस्था में मददगार हो सकती है
  • हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy): यह बच्चेदानी को पूरी तरह से निकालने की प्रक्रिया है। यह समाधान है उन महिलाओं के लिए जो आगे गर्भधारण नहीं चाहतीं

बच्चेदानी की सेहत बनाए रखने के लिए जरूरी टिप्स

बच्चेदानी को स्वस्थ रखने के लिए निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है:

  • सक्रिय जीवनशैली (Active lifestyle): चलना, योग, दौड़ना जैसी गतिविधियाँ और रोज़ कम से कम 30 मिनट की एक्सरसाइज ज़रूरी है
  • संतुलित आहार (Balanced diet): फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट (जैसे नट्स, बीज, मछली) का उपभोग
  • पर्याप्त पानी पीना: रोज़ाना कम से कम 6 से 8 गिलास पानी पीना
  • अस्वस्थत चीज़ों से दूरी: इसमें शामिल है प्रोसेस्ड शुगर, जंक फूड, कैफीन, अल्कोहल और धूम्रपान से रोकथाम
  • तनाव नियंत्रण (Stress management): वजन बढ़ने, सूजन और अनियमित मासिक धर्म को नियंत्रित करने के लिए है

निष्कर्ष

बच्चेदानी में गांठ (fibroids) आमतौर पर नुकसानदायक नहीं होतीं, लेकिन कुछ मामलों में ये महिलाओं की सेहत और जीवनशैली को प्रभावित कर सकती हैं। इनसे जुड़ी जानकारी को समझना और समय रहते कदम उठाना ज़रूरी है। लक्षणों को समझें और उसके अनुसार कदम उठाएं। स्वस्थ जीवनशैली और डॉक्टर की सलाह अपनाकर आप इनसे बचाव और नियंत्रण कर सकती हैं।

Was this article helpful?
YesNo

fill up the form to get a

Free Consultation

Your data is 100% safe with us.

Avail 0% interest on EMI
All Procedures | No Upper Limit

How we reviewed this article:

HISTORY
  • Current Version

LatestTrending

Ad

BOOK A FREE CONSULTATION

Book

Appointment

Call Us

1800-3001-1000
User ID: 17 - Username: hema
User ID: 13 - Username: jigna.n
User ID: 12 - Username: kavya.j
User ID: 19 - Username: maheswari.d
User ID: 8 - Username: Oasis Fertility
User ID: 14 - Username: parinaaz.parhar
User ID: 9 - Username: Piyush_leo9
User ID: 22 - Username: poornima
User ID: 23 - Username: prasanta
User ID: 15 - Username: pratibha
User ID: 16 - Username: prinkabajaj
User ID: 18 - Username: radhikap
User ID: 21 - Username: rajesh.sawant
User ID: 10 - Username: ramya.v
User ID: 11 - Username: saimanasa
User ID: 20 - Username: shalini
User ID: 7 - Username: shootorder